Followers

Saturday, March 27, 2010

अमृतान्जल

 आसमान का रंग है नीला हरी-हरी सी धरती

मटमैला है रंग ज़मीं की पर रंग नहीं है जल की

हर रंग में  यह ढल जाती है है यह बात गजब की
नष्ट न करो इस अमृत को संरक्षण कर लो जल की

पीकर घूँट अमृत की  जन-जन धन्यवाद दो इश्वर को
बेकार न हो जाये जीवन पानी को सांस समझ लो

1 comment:

comments in hindi

web-stat

'networkedblogs_

Blog Top Sites

www.blogerzoom.com

widgets.amung.us